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Monday, 6 March 2017
Monday, 27 February 2017
Friday, 24 February 2017
Tuesday, 21 February 2017
Tuesday, 3 January 2017
Saturday, 8 October 2016
महाभारत काल का भीम का ढोल और 250 ग्राम का गेहू दाना
(महाभारत काल का भीम का ढोल)
चंडीगढ़।अब तक आपने महाभारत काल के कई अवशेषों के बारे में सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिमला से 100 किमी की दूरी पर करसोग घाटी में ममलेश्वर मंदिर है में एक 2 मीटर लंबा और तीन फीट है ऊंचा ढोल करीब पांच हजार साल से रखा हुआ है। इसके बारे में कहा जाता है कि ये ढोल भीम का है। और अज्ञातवास के समय वह बजाया करते थे। और क्या है खास...
-ऐसी मान्यता है कि यहां 5 हजार साल पहले पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय इस जगह बिताया था। इस मंदिर में एक बड़ा ढोल भी रखा गया है। इस ढोल का आकार आजकल बजाए जाने वाले सामान्य ढोल से कही ज्यादा है।
- यह ढ़ोल करीब दो मीटर लंबा और तीन फीट ऊंचा है। अगर इस ढोल को भीम का मान लिया जाए तो सोचे की भीम के हाथों की लंबाई कितनी होगी।
-अज्ञातवास के दौरान इस ढोल को भीम ने बनवाया था। कहते हैं कि भीम जब अकेले होते थे तो वह इस ढोल को बजाया करते थे।
(मंदिर में रखा हुआ 250 ग्राम गेंहूं का दाना)
गेंहूं की फसल में होता था 250 ग्राम का दाना...
- यहां पर पांडव जो गेंहूं की फसल उगाते थे, उसमें एक गेंहूं का दाना 250 ग्राम का होता था।
-इस तरह का एक दाना हिमाचल के इस मंदिर में आज भी रखा है।
-हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में करसोग घाटी मंदिरों के लिए काफी प्रसिद्ध है।
- इसी मंदिर में पांच हजार साल पुराना 250 ग्राम का गेंहूं का दाना रखा हुआ है।
- ऐसा माना जाता है कि इसे पांडवों ने उगाया था।
महाभारत काल से जल रहा है अग्निकुंड
-ममलेश्वर महादेव मंदिर में एक अग्निकुंड है, जो हमेशा जलता रहता है।
-गांव के लोगों का मानना है कि यह हवनकुंड पांडवकाल से 5 हजार सालों से जल रहा है।
-श्रद्धालुओं के लिए 5 शिवलिंग का एक साथ मौजूद होना भी इस मंदिर को खास बनाता है।