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महामृत्युंजय मन्त्रः - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम् ।भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तु ते ॥
महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य आकर्षणों में भगवान महाकाल की भस्म आरती, नागचंद्रेश्वर मंदिर, भगवान महाकाल की शाही सवारी आदि है। प्रतिदिन अलसुबह होने वाली भगवान की भस्म आरती के लिए कई महीनों पहले से ही बुकिंग होती है। इस आरती की खासियत यह है कि इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है लेकिन आजकल इसका स्थान गोबर के कंडे की भस्म का उपयोग किया जाता है परंतु आज भी यही कहा जाता है कि यदि आपने महाकाल की भस्म आरती नहीं देखी तो आपका महाकालेश्वर दर्शन अधूरा है।
"श्री जगत मंदिर" कोटा में सावन के प्रथम सोमवार को उज्जैन स्वररूप महाकालेश्वर की तरह शिवलिंग को सजाया जाता हे यघपि जिस तरह उज्जैन महाकालेश्वर धाम में "भस्मी" आरती के लिए "मुर्दे" की राख को उपयोग में लिया जाता हे उसी तरह जगत मंदिर में भी भस्मी आरती मुर्दे की राख के द्वारा ही की जाती हे बहत संख्या में भक्त श्रद्धा के सावन के साथ प्रथम सोमवार को "महाकाल" के दर्शन करने आते हे
द्वितीय सोमवार"अमरनाथ दर्शन"
"श्री जगत मंदिर" कोटा राजस्थान में हर वर्ष सावन सोमवार को देवो के देव महादेव का विशेष श्रृंगार किया जाता हे महादेव के ज्योतिर्लिंग में से एक हे "अमरनाथ" ज्योतिर्लिंग जो की कश्मीर में श्रीनगर से करीब 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है हिन्दूओं का परम पवित्र तीर्थस्थल अमरनाथ धाम। यहां समुद्रतल से 13 हजार 600 फुट की दूरी पर बसा है पवित्र गुफा जिसमें भगवान भोलेनाथ देवी पार्वती के साथ विराजमान रहते हैं। पुराणों के अनुसार यही वह स्थान है जहां भगवान शिव ने पहली बार अमरत्व का रहस्य प्रकट किया था।
भारत में बहुत से ऐसे लोग हे जो "बाबा अमरनाथ" के ज्योतिर्लिंग के दर्शन नही कर पाते हे इसलिए "श्री जगत मंदिर" कोटा राजस्थान में सावन के द्वितीय सोमवार को 351 बर्फ की सिल्लियो से अमरनाथ रुपी ज्योतिर्लिंग को सजाया जाता हे और एक पवित्र गुफा को भी बनाया जाता हे,भग्त अपनी पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ बाबा अमरनाथ बर्फानी के दर्शन करने हजारो की तादाद में यहाँ आते है