मां शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र 1 अक्टूबर, शनिवार से शुरू हो रहा है, जो 10 अक्टूबर, सोमवार तक रहेगा। नवरात्र में तृतीया तिथि दो दिन 3 से 4 अक्टूबर तक रहेगी। इसलिए नवरात्रि नौ की बजाए 10 दिन की होगी। नवरात्र के पहले दिन माता दुर्गा की प्रतिमा तथा घट (कलश) की स्थापना की जाती है। इसके बाद ही नवरात्र उत्सव का प्रारंभ होता है। माता दुर्गा व घट स्थापना की विधि इस प्रकार हैं-
ये है घट स्थापना की विधि
पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं। फिर उनके ऊपर अपनी इच्छा अनुसार सोने, तांबे अथवा मिट्टी के कलश की स्थापना करें। कलश के ऊपर सोना, चांदी, तांबा, मिट्टी, पत्थर या चित्रमयी मूर्ति रखें। मूर्ति यदि कच्ची मिट्टी, कागज या सिंदूर आदि से बनी हो और स्नानादि से उसमें विकृति आने की संभावना हो तो उसके ऊपर शीशा लगा दें।
मूर्ति न हो तो कलश पर स्वस्तिक बनाकर दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु की पूजा करें। नवरात्र व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति की पूजा करें। दुर्गादेवी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा मार्कण्डेयपुराणान्तर्गत निहित श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नौ दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए।
कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त
सुबह 06 से 08.24 तक
सुबह 08.24 से 10.15 तक
सुबह 11.36 से दोपहर 12.24 तक (अभिजित मुहूर्त)
दोपहर 03.15 से शाम 06.35 तक
सुबह 08.24 से 10.15 तक
सुबह 11.36 से दोपहर 12.24 तक (अभिजित मुहूर्त)
दोपहर 03.15 से शाम 06.35 तक
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तस्वीरों का इस्तेमाल प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
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